स्टॉक एक्सचेंज की ट्रेडिंग प्रक्रिया (Trading Procedure of Stock Exchange) ट्रेडिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले चरणों के अनुक्रम के बारे में बताती है। ट्रेडिंग में कंपनियों द्वारा प्रतिभूतियों को खरीदा या बेचा जा सकता है। तो, आइए इसकी प्रक्रिया के बिंदुओं से शुरू करते हैं और जानते हैं कि यह कैसे काम करता है।
स्टॉक एक्सचेंज की परिभाषा (Definition of Stock Exchange):
एक संगठन या व्यक्तियों का निकाय, चाहे वह प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री और व्यवहार में व्यवसाय को विनियमित करने और नियंत्रित करने में सहायता के उद्देश्य से निगमित हो या नहीं।
–The Indian Securities Contracts (Regulation) Act of 1956
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स्टॉक एक्सचेंज की ट्रेडिंग प्रक्रिया (Trading Procedure of Stock Exchange):
सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में शामिल कंपनी का नाम तभी स्टॉक एक्सचेंज प्राधिकरण कंपनी की वित्तीय ताकत और उद्देश्यों से संतुष्ट होता है। ट्रेडिंग प्रक्रिया (Trading Procedure of Stock Exchange) में शामिल हैं:
1. एक दलाल का चयन (Selection of a broker):
ब्रोकर/एजेंट एक व्यक्ति, साझेदारी फर्म या कॉर्पोरेट निकाय हो सकते हैं। सबसे पहले, इसमें एक ब्रोकर का चयन शामिल है जो निवेशक की ओर से प्रतिभूतियों को खरीद/बेचेगा। प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री केवल सेबी पंजीकृत दलालों द्वारा की जाती है जो स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य हैं।
2. डीमैट खाता खोलना (Opening De mat Account):
डीई मैट डीमैटरियलाइज्ड खाते को संदर्भित करता है। यह ट्रेडिंग प्रक्रिया का दूसरा चरण है। डिपॉजिटरी एक ऐसी संस्था है जो सिक्योरिटीज (जैसे शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड, म्यूचुअल (फंड, आदि) रखती है। भारत में दो डिपॉजिटरी हैं: नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड।
3. आदेश देना (Placing the Order):
निवेशक डीमैट खाता खोलने के बाद ऑर्डर दे सकता है। और ऑर्डर ब्रोकर को व्यक्तिगत रूप से, टेलीफोन पर या ईमेल आदि के माध्यम से दिया जाता है।
4. आदेश का निष्पादन (Executing the Order):
निवेशक के निर्देशों के अनुसार, ब्रोकर ऑर्डर देता है यानी वह प्रतिभूतियों को खरीदता या बेचता है। ब्रोकर निवेशक द्वारा दिए गए ऑर्डर के लिए एक अनुबंध नोट बनाता है। इसमें अनुबंध नोट शामिल है जो नाम और प्रतिभूतियों की कीमत, पार्टियों के नाम और उसके द्वारा लगाए गए ब्रोकरेज (कमीशन) से संबंधित है। और अनुबंध नोट पर ब्रोकर द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं।
5. समझौता (Settlement):
इस चरण में ब्रोकर द्वारा अपने ग्राहकों की ओर से प्रतिभूतियों का व्यापार किया जाता है। दो प्रकार के हो सकते हैं:
(a) मौके पर समझौता (On the spot settlement):
Settlement is done immediately and on spot settlement. T + 2 rolling settlement. It means that any trade taking place on Monday will be settled by Wednesday.
(b) फॉरवर्ड सेटलमेंट (Forward settlement):
यह उस समझौते को संदर्भित करता है जो भविष्य की किसी तारीख को होगा। स्टॉक एक्सचेंज में सभी ट्रेडिंग सोमवार से शुक्रवार (सुबह 9.55 बजे से दोपहर 3.30 बजे के बीच) होती है।
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